लगातार 5 कुश्तियाँ जीतकर रचा इतिहास
भारतीय कुश्ती के लिए सोने से कीमती सुशील कुमार ने रविवार को नया इतिहास रच दिया। बीजिंग ओलिम्पिक में देश को 56 साल बाद पदक दिलाने वाले सुशील ने मास्को में चल रही विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत लिया। विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले वह पहले भारतीय हैं। इससे पहले श्रेष्ठ प्रदर्शन विशंभर सिंह का था जिन्होंने 1967 में रजत पदक हासिल किया था।
सुशील के कोच द्रोणाचार्य अवॉर्डी महाबली सतपाल ने कहा कि सुशील ने देश की झोली फिर खुशियों से भर दी है। मुझे उम्मीद है कि उसकी नई कामयाबियों से कुश्ती का जूनुन और परवान चढ़ेगा। छत्रसाल अखाड़े के उनके अन्य कोच रामफल ने कहा कि हमें सुशील पर नाज है।
66 किलो भारवर्ग के मुकाबले में सुशील ने एक के बाद एक लगातार पाँच कुश्तियाँ जीतीं। देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गाँधी खेल रत्न से सम्मानित सुशील ने यूनान, जर्मनी और मंगोलिया के पहलवानों को हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया, जहाँ उन्होंने अजरबेजान के हसानोव जेब्रायिल को 4-3 से पराजित किया।
फाइनल में उन्होंने रूस के गोगोव एलन को पहले दो राउंड में पराजित कर भारतीय कुश्ती के इतिहास में नया अध्याय लिख दिया। पहले राउंड में सुशील ने 2-1 की बढ़त ली और फिर दूसरे राउंड में एक अंक लेकर एलन को अप्रत्याशित हार झेलने को विवश कर दिया।
एलन पिछले साल भी विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुँचे थे, लेकिन तब वे ईरान के पहलवान से हार गए थे। इस बार सुशील कुमार ने उन्हें स्वर्ण पदक से वंचित कर दिया।
बाहरी दिल्ली के बपरौला गाँव के निवासी सुशील ने इसी साल एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीता था। वह कैडेट स्तर पर भी विश्व चैम्पियन रह चुके हैं।
नवीन शर्मा/एजेंसी
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